रात की चांदनी भी मुखौटा पहनती है, बादलों की शरारत पे ध्यान ना दो सूरज भी अंधकार कर देता है चांद को दोष ना दो ये दुनिया ही बनावटी है, ऊपर वाले को दोष ना दो
आज शब्दों के आंसु निकाल पड़े होंगे, कविताओं की पंक्तियां बिखर गई होंगी, और आज छंद भी मुरझा गए होंगे, शब्दों की शरारत करने वाले रुकसत हो गए पंक्तियां सजाने वाले ना रहे छन्दो को खिलखिलाने वाले चले गए "बुलाती है मगर जाने का नहीं" 🙏🙏🙏
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