Best lines
आज शब्दों के आंसु निकाल पड़े होंगे
कविताओं की पंक्तियां बिखर गई होंगी
(12/08/20)
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"रात की चांदनी भी मुखौटा पहनती है,
बादलों की शरारत पे ध्यान ना दो"
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वो पलट के हल्के से बोलने लगे
"रास्ता रिश्तों को मिलने से नहीं रोक सकता"
"रास्ता रिश्तों को मिलने से नहीं रोक सकता"
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"आग भी उससे लगा रहा था जो माचिस भीगी थी और
उस सड़क पे चल रहा था जिसकी मंज़िल ही नहीं थी"
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"मुखौटा का रंग ही अतरंग होता है"
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दोपहर तक बिक्क गया
बाज़ार का हर एक झूठ
और मैं एक सच लेकर
शाम तक बैठा रहा
बाज़ार का हर एक झूठ
और मैं एक सच लेकर
शाम तक बैठा रहा
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"दूसरो के दुनिया की सोचने वालो
ऐसे आशियां उजाड़ा नहीं करते"
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"ख़ुद की आंखे ख़ुद ही से चुराते हैं
और खुद की बात ख़ुद ही से छिपाते हैं"
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"अगर एक दिन पास आ गई मेरे
तो इस दिल से कहीं जाने नहीं दूंगा मैं"
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सिर्फ इंसान गलत नहीं होते.. वक्त भी ग़लत हो सकता है
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अच्छा तो बहुत गुरूर है तुममें
इसे ज़रा संभाल कर रखो, और
मर जाऊंगा तेरे बिना मैं, चलो
ये वहम भी पाल के रखो
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इसे ज़रा संभाल कर रखो, और
मर जाऊंगा तेरे बिना मैं, चलो
ये वहम भी पाल के रखो
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चाहे कितनी भी तुम साजिशें करो
चाहूंगा मैं बस तुम्हें ही
हक़ है तुम्हारा मेरे चीजो पर
मेरा हक़ तो था बस तुम पर
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तुम जो आंसु लेकर आए हो,
चाहूंगा मैं बस तुम्हें ही
हक़ है तुम्हारा मेरे चीजो पर
मेरा हक़ तो था बस तुम पर
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तुम जो आंसु लेकर आए हो,
उसकी क़ीमत पूछने वाले तुम कौन हो
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जिसकी उड़ान लंबी हो ना
वो पत्तों में फसकर रुका नहीं करते।
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