मुखौटे का खेल

रात की चांदनी भी मुखौटा पहनती है,
बादलों की शरारत पे ध्यान ना दो
सूरज भी अंधकार कर देता है
चांद को दोष ना दो
ये दुनिया ही बनावटी है,
ऊपर वाले को दोष ना दो

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