ज़रा कोई मेरी भी तो सुन लेते कभी

किसी को ख़ुद से ज़्यादा चाहना गुनाह होता है

दिल टूटने को और शरीर छूटने को लगता है

अजय था मैं इस पूरी दुनिया में

किसी का दिल तोड़ने में कितना समय ही लगता है

क्या हालात थे मेरे और क्या वज़ह थी मेरी ये तो कोई नहीं जानता है

मेरी कारनामों के क़िस्से अभी दुनिया भर में सुनाया जाता है

ज़रा कोई मेरी भी तो सुन लेते कभी।


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