आनज के दाने का स्वाद


तुम जो ये सब उपकरण लाए हो
समझ नहीं आता हमें,
हमें तो समझ आता है बस
वो अनाज के दाने का स्वाद
उन खेतों की हरियाली
घर की खुशहाली..

एक कर्ज जैसे दानव ने लगा दी आग,
मातम में बदल गई हमारी खुशहाली
बंजर पड़ गए हमारी हरियाली

क्यों होता है ये हमारे साथ
क्यों कुछ करता नहीं समाज,
मजबूर तो हमारे ये हालात हैं,
और कसूरवार तो ये पूरा समाज है

~किसान

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